Chemistry GK Quiz, Chemistry GK (general knowledge) multiple choice questions (MCQs) with answers in Hindi, Samanya gyan ke prashn (प्रश्नोत्तरी 10): अगर आप किसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो जनरल नॉलेज को अच्छी करना ( या अच्छी तरह से याद रखना ) बेहद जरूरी है । तो चलिए जानते हैं कौन-से सवाल जो आएंगे आपके काम –
सभी प्रश्नों के उत्तर याद करना सभी के लिए लगभग असंभव है, आज हम आपको बता रहे हैं उन सभी खास प्रश्नों को उनके उत्तर के साथ जो प्रतियोगी परिक्षाओं से लेकर जॉब इंटरव्यू में ज्यादातर पूछे जाते हैं । अगर आपको इन प्रश्नों के उत्तर पता हैं तो आपकी मुश्किलें हल हो जाएंगी ।
1. गामा किरणों की खोज किसने की थी?
(A) रदरफोर्ड
(B) फैराडे
(C) चैडविक
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) रदरफोर्ड
1902 में वैज्ञानिक रदरफोर्ड ने रेडियोएक्टिव पदार्थ से निकलने वाली किरणों का अध्ययन किया।
शीशे के एक बर्तन में रेडियम का एक टुकड़ा रखा।इस टुकड़े से निकलने वाली किरणों का निरीक्षण किया।
जिसमे पाया कि अगर इन किरणों को चुम्बकीय क्षेत्र या वैद्युत क्षेत्र से गुजारा जाए तो किरणों में विक्षेपण होता है।
किरणें ऋणावेशित प्लेट की ओर विक्षेपित हो गयी अर्थात इनमें धनात्मक आवेश था इन किरणों को अल्फा किरण कहा गया।
तथा कुछ किरणें धनावेशित प्लेट की ओर विक्षेपित हो गयी अर्थात इनमें ऋणात्मक आवेश था इन किरणों को बीटा किरण कहा गया।
कुछ किरणें बिना विक्षेपित हुए सीधे निकल गयी अर्थात इनमें शून्य आवेश या उदासीन थी, इन किरणों को गामा किरण कहा गया।
2. निम्नलिखित में से किसके उत्सर्जन से समभारिक का निर्माण होता है?
(A) एक्स किरण
(B) गामा किरण
(C) बीटा किरण
(D) अल्फा किरण
(C) बीटा किरण
बीटा कण के उत्सर्जन से समभारिक का निर्माण होता है। समभारिक वह तत्व है जिसमें द्रव्यमान संख्या समान एवं परमाणु संख्या भिन्न-भिन्न होती है। एक्स-रे की खोज विलियम कोनार्ड रोयंटजन द्वारा किया गया था। जिसका उपयोग चिकित्सा एवं औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता है।
3. निम्नलिखित में से किसमें ऋणात्मक आवेश होती है?
(A) अल्फा किरण
(B) गामा किरण
(C) एक्स किरण
(D) बीटा किरण
(D) बीटा किरण
ऋणायन और धनायन - किसी आयन का अवेश उसमें मौजूद प्रोटोनों की संख्या को उसमें मौजूद इलेक्ट्रॉनों से घटाकर बताया जाता है। अगर प्रोटोनों की संख्या अधिक हो तो यह आवेश धनात्मक (पोज़िटिव) होता है और अगर इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक हो तो यह आवेश ऋणात्मक (नेगेटिव) होता है।
बीटा कण अत्यंत ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन हैं जो आंतरिक नाभिक से मुक्त होते हैं। इनका मास negligible होता है और चार्ज नेगेटिव होता है। न्यूक्लियस में एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन और एक इलेक्ट्रॉन में एक बीटा कण के उत्सर्जन पर विभाजित होता है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि यह इलेक्ट्रॉन है जो नाभिक द्वारा तीव्र गति से उत्सर्जित होता है।
4. β - किरणें किस प्रकार का आवेश वहन करता है?
(A) ऋणात्मक
(B) धनात्मक
(C) शून्य आवेश
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) ऋणात्मक
ऋणायन और धनायन - किसी आयन का अवेश उसमें मौजूद प्रोटोनों की संख्या को उसमें मौजूद इलेक्ट्रॉनों से घटाकर बताया जाता है। अगर प्रोटोनों की संख्या अधिक हो तो यह आवेश धनात्मक (पोज़िटिव) होता है और अगर इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक हो तो यह आवेश ऋणात्मक (नेगेटिव) होता है।
बीटा कण अत्यंत ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन हैं जो आंतरिक नाभिक से मुक्त होते हैं। इनका मास negligible होता है और चार्ज नेगेटिव होता है। न्यूक्लियस में एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन और एक इलेक्ट्रॉन में एक बीटा कण के उत्सर्जन पर विभाजित होता है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि यह इलेक्ट्रॉन है जो नाभिक द्वारा तीव्र गति से उत्सर्जित होता है।
5. निम्नलिखित में से किस किरण की आयतन क्षमता सबसे कम होती है?
(A) अल्फा किरण
(B) बीटा किरण
(C) गामा किरण
(D) इनमें से कोई नहीं
(C) गामा किरण
अति उच्च वेग से गतिशील होने के कारण गामा किरणों की भेदन क्षमता (Penetrating power) α- और β-किरणों की तुलना में सबसे अधिक होती है। गतिज ऊर्जा का मान बहुत कम होने के कारण इन किरणों में गैसों को आयनित करने की क्षमता बहुत कम होती है।
6. निम्नलिखित में से किस किरण की वेधन क्षमता सबसे अधिक है?
(A) अल्फा किरण
(B) गामा किरण
(C) बीटा किरण
(D) इनमें से कोई नहीं
(B) गामा किरण
अति उच्च वेग से गतिशील होने के कारण गामा किरणों की भेदन क्षमता (Penetrating power) α- और β-किरणों की तुलना में सबसे अधिक होती है। गतिज ऊर्जा का मान बहुत कम होने के कारण इन किरणों में गैसों को आयनित करने की क्षमता बहुत कम होती है।
7. पृथ्वी की आयु का आकलन किसके द्वारा किया जाता है?
(A) कार्बन डेटिंग से
(B) जैविक घड़ी से
(C) यूरेनियम डेटिंग से
(D) इनमें से कोई नहीं
(C) यूरेनियम डेटिंग से
रेडियो यूरेनियम कालनिर्धारण से पृथ्वी की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। यूरेनियम-लेड कालनिर्धारण एक रेडियोमेट्रिक कालनिर्धारण पद्धति है जो यूरेनियम की क्षय श्रृंखला का उपयोग करती है और एक चट्टान की उम्र का पता लगाने की ओर ले जाती है।
यह यूरेनियम (U) समस्थानिकों (238U, 235U और इस प्रविष्टि 232Th) के रेडियोधर्मी क्षय का उपयोग लेड (Pb) (206Pb, 207Pb और 208Pb) के स्थिर समस्थानिकों में करता है।
रेडियो यूरेनियम कालनिर्धारण से पृथ्वी की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। 1920 के दशक में, पृथ्वी की आयु 3 अरब वर्ष तक बढ़ गई, जिससे यह ब्रह्मांड से भी पुराना हो गया, जो तब लगभग 1.8 अरब वर्ष पुराना था।
पृथ्वी की आयु के लिए सबसे अच्छा अनुमान कैन्यन डियाब्लो आयरन उल्कापिंड के टुकड़ों की रेडियोमेट्रिक कालनिर्धारण पर आधारित है।
सभी चट्टानों और खनिजों में लंबे समय तक रहने वाले रेडियोधर्मी तत्व होते हैं जिन्हें सौर मंडल के गठन के समय पृथ्वी में शामिल किया गया था।
ये रेडियोधर्मी तत्व स्वतंत्र घड़ियों का निर्माण करते हैं जो भूवैज्ञानिकों को उन चट्टानों की आयु निर्धारित करने की अनुमति देते हैं जिनमें वे होते हैं।
8. परमाणु बम का आविष्कार किसने किया था?
(A) रदरफोर्ड
(B) ऑटो हान
(C) मैडम क्यूरी
(D) जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर
(D) जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर
दुनिया में तबाही मचाने वाले परमाणु बम का आविष्कार अमेरिकी मूल के वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर (Julius Robert Oppenheimer) ने किया था. उनकी देखरेख में पहला एटम बम (Atom Bomb) परीक्षण 16 जुलाई 1945 को अमेरिका में किया गया था।
जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर (Julius Robert Oppenheimer) एक सैद्धान्तिक भौतिकविद् एवं अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (बर्कली) में भौतिकी के प्राध्यापक थे जो परमाणु बम के जनक के रूप में अधिक विख्यात हैं।
9. परमाणु शक्ति संयंत्र किस सिद्धांत पर काम करता है?
(A) तापीय दहन
(B) संलयन
(C) विखण्डन
(D) इनमें से कोई नहीं
(C) विखण्डन
नाभिकीय ऊर्जा ऐसी ऊर्जा है जो प्रत्येक परमाणु में अंतर्निहित होती है। नाभिकीय ऊर्जा संयोजन (परमाणुओं के संयोजन से) अथवा विखंडन (परमाणु-विखंडन) प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न की जा सकती है। सभी मौजूदा नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों में विखंडन का प्रयोग किया जाता है।
10. सूर्य से ऊर्जा कैसे उत्पन्न होती है?
(A) रासायनिक अभिक्रिया से
(B) कोयला जलने से
(C) नाभिकीय विखण्डन से
(D) नाभिकीय संलयन से
(D) नाभिकीय संलयन से
सूरज 74% हाइड्रोजन से बना हुआ है। सूर्य के कोर में बेहिसाब दबाव की वजह से हाइड्रोजन परमाणुओं की विशाल मात्रा फ्यूज होकर हीलियम में परिवर्तित हो जाती है। यह जटिल प्रक्रिया नाभिकीय संलयन कहलाती है। अर्थात सूर्य के कोर में करोड़ों हाइड्रोजन बम के बराबर विस्फोट हर सेकेंड होता है। इस विस्फोट के परिणामस्वरूप ऊर्जा का अक्षय भंडार सूर्य से निकलता है और विकिरण के द्वारा सौर मंडल में पहुंच जाता है।
11. कार्बन डेटिंग निम्नलिखित में से किसकी आयु निर्धारण हेतु प्रयुक्त होता है?
(A) पौधे
(B) जंतुओं
(C) जीवाश्म
(D) ये सभी
(D) ये सभी
जीवाश्मों की आयु निर्धारित करने की इस तकनीक को कार्बन डेटिंग कहा जाता है। इस तकनीक में जैविक सामग्री के नमूने से कार्बन लिया जाता है, और स्थिर कार्बन के अनुपात को अस्थिर रेडियोकार्बन, C-12 और C-14 तक मापा जाता है।
पुरातत्व, जीव विज्ञान में जंतुओं एवं पौधों के प्राप्त अवशेषों के आधार पर जीवन काल, समय चक्र का निर्धारण करने में कार्बन काल निर्धारण विधि का प्रयोग किया जाता है। इसमें कार्बन-12 एवं कार्बन-14 के मध्य अनुपात निकाला जाता है। कार्बन-14 कार्बन का रेडियोधर्मी आइसोटोप है, इसका अर्धआयुकाल 5730 वर्ष का है।
12. हाइड्रोजन के समस्थानिकों की संख्या कितनी है?
(A) 5
(B) 3
(C) 2
(D) 4
(B) 3
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक है।
1) प्रोटियम (1H1)
2) ड्यूटेरियम (1H2 or D)
3) ट्राइटियम (1H3 or T)
13. सर्वाधिक संख्या में समस्थानिक किसके पाये जाते हैं?
(A) लेड
(B) यूरेनियम
(C) पोलोनियम
(D) हाइड्रोजन
(C) पोलोनियम
पोलोनियम एक रासायनिक तत्व है। इसकी खोज सन् 1898 में मेरी क्युरी और प्येर क्युरी ने की थी। यह एक रेडियोएक्टिव तत्व है, जिसके मुख्य समस्थानिक का द्रव्यमान 210 है, लेकिन इसके अलावा पोलेनियाम के 10 अन्य समस्थानिक ज्ञात है, जो आवर्त सारणी में किसी तत्व के सर्वाधिक समस्थानिक है।
14. निम्नलिखित में से किसके उत्सर्जन से समभारिक उत्पन्न होते हैं?
(A) अल्फा किरण
(B) बीटा किरण
(C) गामा किरण
(D) एक्स किरण
(B) बीटा किरण
बीटा कण के उत्सर्जन से समभारिक का निर्माण होता है। समभारिक वह तत्व है जिसमें द्रव्यमान संख्या समान एवं परमाणु संख्या भिन्न-भिन्न होती है। एक्स-रे की खोज विलियम कोनार्ड रोयंटजन द्वारा किया गया था। जिसका उपयोग चिकित्सा एवं औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता है।
15. निम्नलिखित में से किस यौगिक की आकृति चतुष्फलकीय होती है?
(A) जल
(B) अमोनिया
(C) ऐसीटिलीन
(D) कार्बन टेट्राक्लोराइड
(D) कार्बन टेट्राक्लोराइड
चतुष्फलकी (चतुः + फलकी = चार फलकों वाली / tetrahedron) कहते हैं। चारों फलक त्रिभुजाकार होते हैं। इसमें से कोई तीन फलक एक बिन्दु पर मिलते हैं जिसे 'शीर्ष' (vertex) कहते हैं। चतुष्फलकी में चार फलक, चार शीर्ष एवं छः कोर (edges) होतीं हैं। साधारण उत्तल बहुफलकियों में चतुष्फलकी ही सबसे सरल ठोस है।
चतुष्फलकी एक प्रकार का पिरामिड ही है जिसका आधार त्रिभुज है। अतः इसे 'त्रिभुजीय पिरामिड' भी कहा जाता है।
सभी उत्तल बहुफलकियों की भांति चतुष्फलकी भी एक ही कागज के तुकड़े से मोड़कर बनायी जा सकती है। किसी भी चतुष्फलकी के चारों शीर्षों से होकर एक गोल तल बनाया जा सकता है, जिसे परिगोला (circumsphere) कहते हैं। इसी प्रकार इसके चारों फलकों को स्पर्श करता हुआ भी एक गोल तल बनाया जा सकता है जिसे अन्तःगोला (insphere) कहते हैं।
चतुष्फलकीय संरचना वाले यौगिक
1) मिथेन
2) एमीन
3) सिलिकॉन डाइऑक्साइड
4) पाइरॉक्सीन
5) जिंक क्लोराइड
6) कार्बन टेट्राक्लोराइड
7) निकल टेट्राकार्बोनिल
8) परक्लोरेट (जैसे, पोटैशियम परक्लोरेट आदि)
9) क्रोमिल क्लोराइड