Biology GK Quiz, Biology GK (general knowledge) multiple choice questions (MCQs) with answers in Hindi, Samanya gyan ke prashn (प्रश्नोत्तरी 04): अगर आप किसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो जनरल नॉलेज को अच्छी करना ( या अच्छी तरह से याद रखना ) बेहद जरूरी है । तो चलिए जानते हैं कौन-से सवाल जो आएंगे आपके काम –
सभी प्रश्नों के उत्तर याद करना सभी के लिए लगभग असंभव है, आज हम आपको बता रहे हैं उन सभी खास प्रश्नों को उनके उत्तर के साथ जो प्रतियोगी परिक्षाओं से लेकर जॉब इंटरव्यू में ज्यादातर पूछे जाते हैं । अगर आपको इन प्रश्नों के उत्तर पता हैं तो आपकी मुश्किलें हल हो जाएंगी ।
1. निम्नलिखित में से किसे वर्गिकी का पितामह कहा जाता है?
(A) एंग्लर
(B) लीनियस
(C) अरस्तू
(D) लैमार्क
(B) लीनियस
कार्ल लीनियस को वर्गिकी का जनक कहा जाता है। कार्ल लीनियस (23 मई 1707 – 10 जनवरी 1778) एक स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री थे जिन्होंने द्विपद वर्गीकरण प्रणाली तैयार की, जो बैक्टीरिया से हाथी तक जीवों की पहचान, वर्गीकरण और नाम रखने के लिए दो-भाग वाली नामकरण प्रणाली है। कैरोलस लिनियस टैक्सोनॉमी (जीवों के वर्गीकरण और नामकरण की प्रणाली) के जनक हैं।
2. सूक्ष्मजीव (माइक्रोऑर्गेनिज्म) कहाँ-कहाँ पाये जाते हैं?
(A) रेतली मिट्टी में
(B) लवण युक्त पानी में
(C) दलदल भूमि में
(D) इन सभी में
(D) इन सभी में
वे जीव जिन्हें मनुष्य नंगी आंखों से नही देख सकता तथा जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी (Microscope) यंत्र की आवश्यकता पड़ती है, उन्हें सूक्ष्मजीव (माइक्रोऑर्गेनिज्म) कहते हैं। सूक्ष्मजैविकी (microbiology) में सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है।
सूक्ष्मजीवों का संसार अत्यन्त विविधता से बह्रा हुआ है। सूक्ष्मजीवों के अन्तर्गत सभी जीवाणु (बैक्टीरिया) और आर्किया तथा लगभग सभी प्रोटोजोआ के अलावा कुछ कवक (फंगी), शैवाल (एल्गी), और चक्रधर (रॉटिफर) आदि जीव आते हैं। बहुत से अन्य जीवों तथा पादपों के शिशु भी सूक्ष्मजीव ही होते हैं। कुछ सूक्ष्मजीवविज्ञानी विषाणुओं को भी सूक्ष्मसजीव के अन्दर रखते हैं किन्तु अन्य लोग इन्हें 'निर्जीव' मानते हैं।
सूक्ष्मजीव सर्वव्यापी होते हैं। यह मृदा, जल, वायु, हमारे शरीर के अंदर तथा अन्य प्रकार के प्राणियों तथा पादपों में पाए जाते हैं। जहाँ किसी प्रकार जीवन संभव नहीं है जैसे गीज़र के भीतर गहराई तक, (तापीय चिमनी) जहाँ ताप 100 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा हुआ रहता है, मृदा में गहराई तक, बर्फ की पर्तों के कई मीटर नीचे तथा उच्च अम्लीय पर्यावरण जैसे स्थानों पर भी पाए जाते हैं।
3. विषाणु किसमें वृद्धि करता है?
(A) जीवित कोशिका में
(B) चीनी के विलयन में
(C) मृत शरीर में
(D) पानी में
(A) जीवित कोशिका में
विषाणु (virus) अकोशकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुसुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित माध्यम या धारक के संपर्क में आता है, तो उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है।
4. साबूदाना किससे बनाया जाता है?
(A) पाइनस
(B) सेड्रस
(C) जूनीपेरस
(D) कसावा
(D) कसावा
साबूदाना किसी पेड़ पर उगने वाली चीज नहीं है, बल्कि इसे बनाया जाता है और बनाने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है, इसे सागो पाम नामक पेड़ से बनाया जाता है। पहले सागो पाम पौधे अमेरिका में पाए जाते थे, वहां से ये अफ्रीका पहुंचा। 19वीं सदी के बाद ये भारत आया। दक्षिण भारत के केरल, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में इसकी खेती की जाती है।
साबूदाना बनाने के लिए पाम सागो के तने के बीच से टैपिओका रूट को निकाला जाता है, इसे कसावा भी कहा जाता है। कसावा देखने में शकरकंद से मिलता जुलता है, इसे काटकर बड़े-बड़े बर्तनों में रखा जाता है और उसमें रोजाना पानी डाला जाता है, इसे प्रक्रिया को लंबे समय तक दोहराया जाता है, फिर इसके गूदे को मशीनों में डालकर अलग-अलग आकार का साबूदाना तैयार किया जाता है और उसे सुखाया जाता है। सूखने के बाद इसमें ग्लूकोज और स्टार्च से बने पाउडर की पॉलिश की जाती है। इससे साबूदाने में चमक आ जाती है और ये सफेद चमचमाती गोल-गोल गोलियों की तरह दिखने लगता है, इसके बाद इसे बाजार में लाया जाता है।
5. फलों का अध्ययन क्या कहलाता है?
(A) फिनोलॉजी
(B) पोमोलॉजी
(C) एग्रेस्टोलॉजी
(D) एन्थोलॉजी
(B) पोमोलॉजी
वनस्पति विज्ञान की वह शाखा जो फल और उसकी खेती का अध्ययन करती है, उसे पोमोलॉजी कहलाती है, और जो इसका अध्ययन करती है, उसे पोमोलॉजिस्ट कहा जाता है।
पोमोलॉजी से संबंधित है :
1. फलों का निषेचन और उन्हें किस प्रकार स्वस्थ और उत्पादक रखा जाना चाहिए।
2. शाखा खेती के बाद फलों की शेल्फ लाइफ का ध्यान रखती है ताकि यह लंबे समय तक ताजा रहे और लंबी दूरी तक ले जाया जा सके।
3. पोमोलॉजिस्ट फलों की कटाई और वृद्धि की देखभाल करता है और फलों की चोट और नुकसान को कम करने के लिए परिवहन और टोकरे की विधि का सुझाव देता है।
6. द्विनाम पद्धति के प्रतिपालक कौन हैं?
(A) डार्विन
(B) थियोफ्रेस्ट्स
(C) लीनियस
(D) हिप्पोक्रेट्स
(C) लीनियस
द्विनाम पद्धति (Binomial nomenclature) जीवों (जंतु एवं वनस्पति) के नामकरण की पद्धति है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक लिनिअस ने इसका प्रतिपादन किया। इसके अनुसार दिए गए नाम के दो अंग होते हैं, जो क्रमशः जीव के वंश (जीनस) और जाति (स्पीशीज) के द्योतक हैं। जैसे 'एलिअम सेपा' (प्याज)। यहाँ “एलिअम” वंश को और “सेपा” जाति को सूचित करता है।
7. जीवाणु की खोज सर्वप्रथम किसने की थी?
(A) रॉबर्ट कोच
(B) लुई पश्चाार
(C) ल्यूवेन हॉक
(D) रॉबर्ट हुक
(C) ल्यूवेन हॉक
जीवाणु की खोज सन् 1632-1723 ई. के बीच के कार्यकाल में दुनिया के सबसे पहले माइक्रोबायोलॉजिस्ट एण्टोनिवान ल्यूवेन हॉक ने की थी। इन्होंने 1676 में अपने द्वारा बनाए गए सुक्ष्मदर्शी से सुक्ष्म जीवाणुओं को सर्वप्रथम बरसात के पानी में तथा उसके बाद अपने दाँतों के मेल में देखा तथा इन्हें सुक्ष्म जीव कहा। इसलिए “एण्टोनिवान ल्यूवेन हॉक को सुक्ष्म जीवाणु विज्ञान का जनक भी कहा जाता है।” इन्होंने सबसे पहले एक कोशिकीय प्रोटोजोआ की खोज की तथा उसका नाम अनिमुकुलस नाम दिया था। एहरेनबर्ग ने 1838 ई. में इन्हें जीवाणु (Bacteria) नाम दिया।
रॉबर्ट कोच ने – कौलेरा तथा क्षय रोगों के बारे में अध्ययन किया था और यह बताया था कि ये रोग जीवाणुओं से होतें है। इसके लिए इन्हे नोबल अवार्ड भी मिला था।
लुईस पाश्चर ने – एल पाश्चर ने रेबीज नामक जीवाणु के एन्टीबायोटीक की खोज की थी। अर्थात् रेबीज के टीके की खोज की।
रॉबर्ट हुक ने – रॉबर्ट हुक ने कोशिका की खोज की थी।
8. निम्नलिखित में से कौन सा पौधा बीज पैदा करता है लेकिन फूल नहीं देता?
(A) ब्रायोफाइट्स
(B) टेरिफाइट्स
(C) आवृतबीजी
(D) अनावृतबीजी
(D) अनावृतबीजी
अनावृतबीजी या विवृतबीज (gymnosperm, जिम्नोस्पर्म, अर्थ: नग्न बीज) ऐसे पौधों वृक्षों को कहा जाता है जिनके बीज फूलों में पनपने और फलों में बंद होने की बजाए छोटी टहनियों या शंकुओं में खुली ('नग्न') अवस्था में होते हैं। यह दशा 'आवृतबीजी' (angiosperm, ऐंजियोस्पर्म) वनस्पतियों से विपरीत होती है जिनपर फूल आते हैं (जिस कारणवश उन्हें 'फूलदार' या 'सपुष्पक' भी कहा जाता है) और जिनके बीज अक्सर फलों के अन्दर सुरक्षित होकर पनपते हैं। अनावृतबीजी वृक्षों का सबसे बड़ा उदाहरण कोणधारी हैं, जिनकी श्रेणी में चीड़ (पाइन), तालिसपत्र (यू), प्रसरल (स्प्रूस), सनोबर (फ़र) और देवदार (सीडर) शामिल हैं। साइकस की पौध आंध्रप्रदेश व पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में तैयार की जाती है। इसका बड़ा तना लोगों का ध्यान खींचता है। वर्ष में एक बार इस पर नई पत्तियां आती हैं। इसमें गोबर की खाद डाली जाती है। इसका तना काले रंग का होता है। साइकस के पौधे की कीमत उसकी उम्र के साथ बढ़ती है।
9. जीवाणुओं की साधारण आकृति क्या होती है?
(A) सर्पिल
(B) गोल
(C) छड़ रूपी
(D) कौमा रूपी
(C) छड़ रूपी
जीवाणु इतने अधिक सूक्ष्म होते हैं कि छापे के एक विराम बिंदु में लगभग 2,50000 जीवाणु समा सकते हैं। इतना ही नहीं एक ग्राम मिट्टी में 4 करोड़ जीवाणु कोष तथा एक मिलीलीटर जल में दस लाख जीवाणु पाए जाते हैं। जीवाणु एककोशिकीय सरल जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की भी हो सकती है। ये प्रायः सर्वत्र पाये जाते हैं। पृथ्वी पर मिट्टी में, अम्लीय गर्म जल-धाराओं में, नाभिकीय पदार्थो, पानी में, भू-पपड़ी में, यहाँ तक की कार्बनिक पदार्थो में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाये जाते हैं।
जीवाणुओं का वर्गीकरण आकृति के अनुसार किया जाता है। उदाहरण -
1. दण्डाणु (बैसिलाइ) – दंड जैसे,
2. गोलाणु (कोक्काई) - बिन्दु जैसे,
3. सर्पिलाणु (स्पिरिलाइ) – लहरदार आदि।
10. जो जीवाणु आकार में सबसे छोटे होते हैं, उसे क्या कहेंगे?
(A) वाईब्रियो
(B) गोलाणु
(C) दण्डाणु
(D) स्पाइरिला
(B) गोलाणु
जीवाणु इतने अधिक सूक्ष्म होते हैं कि छापे के एक विराम बिंदु में लगभग 2,50000 जीवाणु समा सकते हैं। इतना ही नहीं एक ग्राम मिट्टी में 4 करोड़ जीवाणु कोष तथा एक मिलीलीटर जल में दस लाख जीवाणु पाए जाते हैं। जीवाणु एककोशिकीय सरल जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की भी हो सकती है। ये प्रायः सर्वत्र पाये जाते हैं। पृथ्वी पर मिट्टी में, अम्लीय गर्म जल-धाराओं में, नाभिकीय पदार्थो, पानी में, भू-पपड़ी में, यहाँ तक की कार्बनिक पदार्थो में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाये जाते हैं।
जीवाणुओं का वर्गीकरण आकृति के अनुसार किया जाता है। उदाहरण -
1. दण्डाणु (बैसिलाइ) – दंड जैसे,
2. गोलाणु (कोक्काई) - बिन्दु जैसे,
3. सर्पिलाणु (स्पिरिलाइ) – लहरदार आदि।
11. निम्नलिखित में से कौन सा रोग बैक्टीरिया से होता है?
(A) पीलिया
(B) तपेदिक
(C) चेचक
(D) ये सभी
(B) तपेदिक
मनुष्यों में बैक्टीरिया के कारण होने वाली विभिन्न बीमारियाँ हैं। मनुष्यों में कुछ सामान्य जीवाणु रोग तपेदिक, निमोनिया, टाइफाइड, टेटनस आदि हैं। बैक्टीरिया जो मनुष्यों में विभिन्न रोगों का कारण बनते हैं उन्हें रोगजनक बैक्टीरिया के रूप में जाना जाता है।
बैक्टीरिया से होने वाले रोग -
हैजा, टी. बी., कुकुरखांसी, न्यूमोनिया, ब्रोंकाइटिस, प्लूरिसी, प्लेग, डिप्थीरिया, कोढ़, टाइफायड, टिटेनस, सुजाक, सिफलिस, मेनिनजाइटिस, इंफ्लूएंजा, ट्रैकोमा, राइनाटिस, स्कारलेट ज्वर।
12. मानव की आंत में कौन सा जीवाणु पाया जाता है?
(A) एशररीशिया कोलाई
(B) कोरीनो बैक्टीरियम
(C) वाइब्रियो कौलेरी
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) एशररीशिया कोलाई
मनुष्य की आंत में हजारों तरह के जीवाणु पाए जाते हैं। मानव की आंत में पाया जाने वाला जीवाणु एशररीशिया कोलाई हैं।
मानव शरीर रचना विज्ञान में, आंत (या अंतड़ी) आहार नली का हिस्सा होती है जो पेट से गुदा तक फैली होती है, तथा मनुष्य और अन्य स्तनधारियों में, यह दो भागों में, छोटी आंत और बड़ी आंत के रूप में होती है।
13. एण्टीबायोटिक्स अधिकांशतया कहां पाये जाते है?
(A) आवृत्तबीजियों में
(B) कवकों में
(C) विषाणुओं में
(D) जीवाणुओं में
(D) जीवाणुओं में
एण्टीबायोटिक्स अधिकांशतया जीवाणुओं में पाये जाते है
आजकल जीवाणु और कवक से अनेक प्रतिजैविक औषधियों का उत्पादन हो रहा है। स्ट्रेप्टोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन और एरिथ्रोमाइसिन सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली प्रतिजैविक हैं जिन्हें कवक एवं जीवाणु से उत्पादित किया जाता है।
14. निम्न में से सबसे छोटा जीव कौन सा है?
(A) माइकोप्लाज्मा
(B) यीस्ट
(C) विषाणु
(D) जीवाणु
(A) माइकोप्लाज्मा
माइकोप्लाज्मा के लक्षण:-
ये सूक्ष्मतम एक प्रोकैरियोटिक जीव है। जो स्वतंत्र रूप से वृद्धि और प्रजनन करते हैं।
यह बहुरूपी होते हैं अतः इन्हें पादप ( जीव ) जगत का जोकर भी कहा जाता है।
इनमें कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है तथा केवल जीवद्रव्य कला उपस्थित होती हैं। जोकि 3 स्तरीय होती हैं।
इन्हें वृद्धि के लिए स्टेरॉल की आवश्यकता होती है।
ये कोशिका भित्ति पर क्रिया करने वाले प्रतिजैविक जैसे पेनिसिलिन से प्रभावित नहीं होते हैं। परंतु उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करने वाले प्रतिजैविक जैसे:- टेट्रासाइक्लीन माइकोप्लाजमा की वृद्धि को रोक देते हैं।
इनका आकार 100 से 500 nm तक होता है। इसलिए इन्हें जीवाणु फिल्टर से नहीं छाना जा सकता है।
इनके कोशिकाद्रव्य में राइबोसोम पाए जाते हैं।
यह दोनों प्रकार के न्यूक्लिक अम्ल DNA तथा RNV7मह MIYय्A में पाए जाते हैं।
ये किसी जीवित जंतु या पेड़ पौधों पर आश्रित रहते हैं। तथा उनमे कई तरह की बीमारियां उत्पन्न करते हैं। कई बार ऐसे जीव मृत कार्बनिक पदार्थों पर मृतोपजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं। यह परजीवी अथवा मृतोपजीवी दोनों प्रकार के हो सकते हैं।
15. निम्नलिखित में से कौन सा रोग जीवाणु के कारण होता है?
(A) पेचिश
(B) हैजा
(C) चेचक
(D) इनमें से कोई नहीं
(B) हैजा
विसूचिका या आम बोलचाल मे हैजा, जिसे एशियाई महामारी के रूप में भी जाना जाता है, एक संक्रामक आंत्रशोथ है जो वाइब्रियो कॉलेरी नामक जीवाणु के एंटेरोटॉक्सिन उतपन्न करने वाले स्ट्रेन (उपभेदों) के कारण होता है। मनुष्यों मे इसका संचरण इस जीवाणु द्वारा दूषित भोजन या पानी को ग्रहण करने के माध्यम से होता है।