Physics GK Quiz, Physics GK (general knowledge) multiple choice questions (MCQs) with answers in Hindi, Samanya gyan ke prashn (प्रश्नोत्तरी 03): अगर आप किसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो जनरल नॉलेज को अच्छी करना ( या अच्छी तरह से याद रखना ) बेहद जरूरी है । तो चलिए जानते हैं कौन-से सवाल जो आएंगे आपके काम –
सभी प्रश्नों के उत्तर याद करना सभी के लिए लगभग असंभव है, आज हम आपको बता रहे हैं उन सभी खास प्रश्नों को उनके उत्तर के साथ जो प्रतियोगी परिक्षाओं से लेकर जॉब इंटरव्यू में ज्यादातर पूछे जाते हैं । अगर आपको इन प्रश्नों के उत्तर पता हैं तो आपकी मुश्किलें हल हो जाएंगी ।
1. प्रतिरोधकता का मात्रक क्या है?
(A) ओम मीटर [Ω m]
(B) मीटर^2
(C) मीटर
(D) इनमें से कोई नहीं
(A) ओम मीटर [Ω m]
किसी पदार्थ की वैद्युत प्रतिरोधकता (Electrical resistivity; या resistivity, specific electrical resistance, या volume resistivity) से उस पदार्थ द्वारा विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करने की क्षमता का पता चलता है। कम प्रतिरोधकता वाले पदार्थ आसानी से विद्युत आवेश को चलने देते हैं। इसकी SI ईकाई ओम मीटर [Ω m] है।
2. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को क्या कहते हैं?
(A) एमीटर
(B) गैल्वेनोमीटर
(C) जनित्र
(D) मीटर
(C) जनित्र
विद्युत धारा (Electric Current) उत्पन्न करने की युक्ति को जनित्र कहते हैं।
विद्युत जनित्र (electric generator) : एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करती है। यह विद्युत चुंबकीय प्रेरण (electromagnetic induction) के आधार पर कार्य करता है।
3. निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया) वाले व्यक्ति को किस प्रकार का चश्मा पहनना चाहिए?
(A) उत्तल लेंस
(B) अवतल लेंस
(C) द्विफोकस लेंस
(D) बेलनाकार लेंस
(B) अवतल लेंस
निकट-दृष्टि दोष में नेत्र का दूर बिन्दु अनन्त से कम दूरी पर हो जाता है। आँख के इस दोष को दूर करने के लिए ऐसे अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है कि अनन्त पर रखी वस्तु से चलने वाली किरणें इस लेंस से निकलने पर नेत्र के दूर बिन्दु से चली हुई प्रतीत हो। तब ये किरणें नेत्र लेंस से अपवर्तित होकर दृष्टि पटल पर मिलती हैं।
उपयुक्त फोकस दूरी वाले अवतल लेंस से युक्त चश्में के प्रयोग से निकट-दृष्टि को सुधारा जाता है। इससे दूर की चीजें भी स्पष्ट दिखने लगती हैं। जब नेत्र की गोलकता बढ़ जाती है तो उसका फोकस कम हो जाता है जिससे वस्तुएँ दृष्टि पटल पर न बनकर उससे पहले ही बन जाता हैं। जिससे वस्तुएँ धुंधली दिखाई देती हैं।
4. दीर्घ – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया) वाले व्यक्ति को किस प्रकार का चश्मा पहनना चाहिए?
(A) अवतल लेंस
(B) द्विफोकस लेंस
(C) उत्तल लेंस
(D) बेलनाकार लेंस
(C) उत्तल लेंस
यह दोष अधिकांशतः वृद्ध होने या अधिक आयु (जैसे चालीस के ऊपर) के लोगों को होता है। काम आयु के लोगों में यह बहुत कम पाया जाता है।
आँखों के चक्षु लेंस के फोकस दूरी के अधिक हो जाने या नेत्र लेंस के छोटे हो जाने के कारण यह दोष उत्पन्न होता है। पूरी कोशिश करने पर भी आँखें इस फोकस दूरी को कम नहीं कर पातीं। इस दोष का संशोधन आँखों के आगे उत्तल लेंस युक्त चश्मे के प्रयोग से किया जाता है।
5. तेज प्रकाश में पुतली का आकार कैसा हो जाता है?
(A) बड़ा
(B) छोटा
(C) कोई परिवर्तन नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
(B) छोटा
आपकी आँखों के रंगीन हिस्से (आइरिस) की मांसपेशियों और आपकी आँखों तक पहुंचने वाले प्रकाश की मात्रा से आपकी पुतलियों का आकार नियंत्रित होता है। तेज रोशनी में, आपकी पुतलियां आपकी आँखों में बहुत अधिक प्रकाश के प्रवेश को रोकने के लिए संकुचित हो जाती हैं (छोटी हो जाती हैं)।
6. एक व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लेंस लगा है बताइए उस व्यक्ति की आंख में कौन सा दोष है?
(A) निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया)
(B) दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया)
(C) जरा दूर दृष्टिता (प्रेस्बोपिया)
(D) इनमें से कोई नहीं
(B) दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया)
उत्तल लेंस का उपयोग हाइपरमेट्रोपिया (दूरदृष्टि दोष) को दूर करने के लिए किया जाता है जिसमें आस-पास की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं। अवतल लेंस का उपयोग मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) को दूर करने के लिए किया जाता है जिसमें दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं।
यह सामान्यतः तीन प्रकार के होते हैं :
1. निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया)
2. दीर्घ – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया)
3. जरा दूर दृष्टिता (प्रेस्बोपिया)
1. निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया)
1. निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया) में मनुष्य निकट की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है, परन्तु दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता है।
2. दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया)
2. दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया) इस दोष में व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है, परन्तु निकट रखी वस्तुओं को वह स्पष्ट नहीं देख सकता है।
3. जरा दूर दृष्टिता (प्रेस्बोपिया)
3. जरा दूर दृष्टिता (प्रेस्बोपिया) – जरा दूरदृष्टिता यह दोष आयु में अधिक होने के कारण मनुष्य की नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है। मनुष्य का निकट बिन्दु दूर हट जाता है। इन्हें पास की वस्तुओं को आराम से देखने में मुश्किल होती है।
7. दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया) वाली आँखे किस वस्तुओं को साफ-साफ देख सकती हैं?
(A) निकट की वस्तुओं को
(B) बड़ी वस्तुओं को
(C) दूर की वस्तुओं को
(D) इनमें से कोई नहीं
(C) दूर की वस्तुओं को
यह सामान्यतः तीन प्रकार के होते हैं :
1. निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया)
2. दीर्घ – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया)
3. जरा दूर दृष्टिता (प्रेस्बोपिया)
1. निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया)
1. निकट – दृष्टि दोष (मायोपिया) में मनुष्य निकट की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है, परन्तु दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता है।
2. दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया)
2. दीर्ध – दृष्टि दोष (हाइपर मायोपिया) इस दोष में व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकता है, परन्तु निकट रखी वस्तुओं को वह स्पष्ट नहीं देख सकता है।
3. जरा दूर दृष्टिता (प्रेस्बोपिया)
3. जरा दूर दृष्टिता (प्रेस्बोपिया) – जरा दूरदृष्टिता यह दोष आयु में अधिक होने के कारण मनुष्य की नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है। मनुष्य का निकट बिन्दु दूर हट जाता है। इन्हें पास की वस्तुओं को आराम से देखने में मुश्किल होती है।
8. मानव-नेत्र में जो बिंदु प्रकाश के लिए बिल्कुल सुग्राही नहीं रहता होता, उसे क्या कहते हैं?
(A) पीतबिंदु
(B) अंधबिंदु
(C) निकटबिंदु
(D) दूरबिंदु
(B) अंधबिंदु
आँख के भीतरी परदे का वह बिन्दु जहाँ किसी आंतरिक कारण से प्रकाश या बाहरी वस्तु का प्रतिबिंब न पहुँचता हो। मानव-नेत्र में जो बिंदु प्रकाश के लिए बिल्कुल सुग्राही नहीं रहता होता, उसे अंधबिंदु कहते हैं।
9. मानव के नेत्र में कौन सा लेंस होता है?
(A) अवतल लेंस
(B) उत्तल दर्पण
(C) उत्तल लेंस
(D) अवतल दर्पण
(C) उत्तल लेंस
मानव आँख, पारदर्शी जीवित पदार्थ से बने एक प्राकृतिक उत्तल लेंस के माध्यम से प्रकाश के अपवर्तन पर काम करती है और हमें, हमारे आसपास की चीजों को देखने के लिए सक्षम बनाती है। देखने की क्षमता को विजन (vision), आई साइट (eye sight) या दृष्टि कहा जाता है। मानव आंख कॉर्निया (cornea), आईरिस (iris), पुतली (pupil), सिलिअरी मांसपेशियों (ciliary muscles), नेत्र लेंस (eye lens), रेटिना (retina) और ऑप्टिकल तंत्रिका (optical nerve)से बनी होती हैं।
आंख के सामने का भाग जिसे कॉर्निया कहा जाता है, पारदर्शी पदार्थ से बना होता है और इसकी बाहरी सतह आकार में उत्तल होती है। ऐसा कॉर्निया के कारण होता है जिससे कि वस्तुओं से आने वाला प्रकाश आँखों में प्रवेश करता है। कॉर्निया के बिल्कुल पीछे आईरिस होता है जिसे रंगीन डायाफ्राम (coloured diaphragm) भी कहा जाता है। आईरिस के बीच में एक छोटे से बिंदु को पुतली कहा जाता है। फिर इसके पीछे नेत्र लेंस होता है जिसे उत्तल (कॉनेवेक्स) (convex) लेंस कहते हैं।
10. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूरज किस रंग का प्रतीत होता है?
(A) लाल
(B) नीला
(C) काला
(D) पीला
(A) लाल
सूर्यास्त और सूर्योदय के समय सूर्य का लाल रंग सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण होता है।
सूरज डूबते और चढ़ते वक्त धरती के सबसे नज़दीक होता है या यों कहें कि क्षितिज के सबसे ऩज़दीक होता है। पर फिर भी वह आसमान में ही दिखता है। वह इसलिए क्योंकि सूरज की रोशनी कई बार आसमान में मौजूद कणों (molecules) और पानी की बूँदों से अपवर्तित होकर (refract) धरती पर आती है जिससे हमे सूरज की सटीक स्थिति का आभास नहीं होता। सूरज की रोशनी में कई रंग होते हैं, और हर रंग की लंबाई अलग-अलग होने के कारण जब वह किसी पानी की बूँद या हवा की सतहों से गुज़रते हैं तो वह अलग-अलग रंगों में बँट जाते हैं। अपवर्तन के समय नीला रंग सबसे ज़्यादा बिखर जाता है क्योंकि उसकी लंबाई (wavelength) कम होती है, इसलिए हमे आसमान नीला दिखता है। पर लाल रंग सबसे कम बिखरता है, इसलिए वह हमारी आँखों को दिखायी पड़ता है। इसी कारण से हमे सूरज लाल दिखायी देता है।
11. वास्तविक सूर्यास्त और आभासी सूर्यास्त के बीच लगभग कितने समय का अंतर होता है?
(A) 2 मिनट
(B) 1 मिनट
(C) 4 मिनट
(D) 3 मिनट
(A) 2 मिनट
वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पहले और वास्तविक सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट बाद दिखाई देता है। वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य वास्तविक सूर्योदय से पहले और वास्तविक सूर्यास्त के बाद दिखाई देता है। इसी परिघटना के कारण ही सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य की चक्रिका चपटी प्रतीत होती है।
12. इंद्रधनुष किस प्रकार का स्पेक्ट्रम है?
(A) प्राकृतिक स्पेक्ट्म
(B) कृत्रिम स्पेक्ट्म
(C) कृत्रिम स्पेक्ट्म और प्राकृतिक स्पेक्ट्म
(D) सभी कथन सत्य है
(A) प्राकृतिक स्पेक्ट्म
इंद्रधनुष एक प्राकृतिक वर्णक्रम, आकाश में संध्या समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है। वर्षा अथवा बादल में पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़नेवाली सूर्य किरणों का विक्षेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। इंद्रधनुष सदा दर्शक की पीठ के पीछे सूर्य होने पर ही दिखाई पड़ता है। पानी के फुहारे पर दर्शक के पीछे से सूर्य किरणों के पड़ने पर भी इंद्रधनुष देखा जा सकता है।
13. अंतरिक्ष यात्री को आकाश का रंग कैसा दिखाई देता है?
(A) लाल
(B) काला
(C) पीला
(D) नीला
(B) काला
असल में आसमान का रंग हमें नीला प्रकाश के प्रकीर्णन (Light Scattering) की वजह से दिखाई देता है। जब प्रकाश की किरणें हमारे वातावरण में प्रवेश करती हैं तो वायुमंडल में मौजूद धूल के कण की वजह से ये चारों ओर बिखर जाती हैं। जो प्रकाश बिखरा है वो नीला होता है जिसका प्रकीर्णन अधिक होता है।
यही कारण है कि आसमान हमें नीला दिखाई देता है। अगर सामान्य शब्दों में कहें तो प्रकाश का प्रकीर्णन आसमान के नीले दिखने का कारण है। अगर धरती पर वायुमंडल न हो तो न तो प्रकाश का प्रकीर्णन होगा और न ही हमें नीला आसमान दिखाई देगा।
आसमान नीले दिखने का कारण तो हमने ऊपर ही स्पष्ट कर दिया। अब आपके लिए ये समझना बहुत आसान होगा कि अंतरिक्ष से आसमान काला क्यों दिखता है, चूंकि वहां न तो वायुमंडल है और न ही प्रकाश का प्रकीर्णन हो पाता है। यही कारण है कि अंतरिक्ष यात्री को आसमान काला दिखाई देता है। इससे ये बात स्पष्ट होती है कि नीला आसमान दिखने के लिए वायुमंडल की उपस्थिति आवश्यक है। अगर अंतरिक्ष में भी पृथ्वी की तरह वायुमंडल होता तो वहां भी प्रकाश का प्रकीर्णन होता और संभवत: वहां भी आसमान का रंग नीला दिख सकता था।
14. मानव नेत्र के किस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनता है?
(A) कॉर्निया
(B) रेटिना
(C) आइरिस
(D) पुतली
(B) रेटिना
मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं वह है - दृष्टिपटल (Retina) ।
दृष्टिपटल (Retina) : नेत्र गोलक की तीसरी तथा भीतरी सतह दृष्टि पटल होती है। यह अत्यंत कोमल झिल्ली के समान होता है। इस पर बहुत सारी प्रकाश संवेदी कोशिकाएं होती हैं। इस पर दंड और शंकु जैसी रचनाएं होती हैं जो प्रकाश व रंगो के प्रति संवेदनशील होती है।
15. चुम्बकीय क्षेत्र का S.I. मात्रक क्या होता है?
(A) न्यूटन
(B) टेसला
(C) एम्पीयर
(D) मीटर
(B) टेसला
चुंबकीय क्षेत्र/ चुंबकीय प्रेरण (B) : एक चुंबक के आसपास का क्षेत्र जिसमें अन्य चुंबक चुंबकीय बल को अनुभव करता है, उसे चुंबकीय प्रेरण कहा जाता है। इसे चुंबकीय फ्लक्स घनत्व कहा जाता है। यह एक सदिश राशि है इसे B से प्रदर्शित करते है इसका SI मात्रक वेबर/वर्गमीटर (Weber/m^2) या टेसला (Tesla) है।